Sunday, November 13, 2016

हत्थाजोड़ी - हाथा जोड़ी / Hatha Jodi - Hattha Jodi

हत्था जोड़ी

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हत्था जोड़ी एक प्राकृतिक वनस्पति है जो कि मध्य प्रदेश के कुछ भागों में स्वतः उत्पन्न होती है - वस्तुतः यह उस वनस्पति कि जड़ होती है जिसका आकार मानव हाथ के पंजो जैसा होता है - और देखने पर ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि कोई मानव हाथ मुट्ठी बांधे हुए हो।


मध्य प्रदेश कि वनवासी जातियां अक्सर इसे बेचती हुयी दिख जाती हैं - हत्था जोड़ी बहुत ही शक्तिशाली व प्रभावकारी वस्तु है यह :-

मुकदमा, शत्रु संघर्ष, दरिद्रता आदि के निवारण में बहुत प्रभावी है इसके जैसी चमत्कारी वस्तु आज तक देखने में नही आई।

इसमें वशीकरण को भी अदुभूत शक्ति है।

भूत - प्रेत आदि का भय नही रहता यदि इसे तांत्रिक विधि से सिध्द कर दिया जाए तो साधक निष्चित रूप से चामुण्डा देवी का कृपा पात्र हो जाता है यह जिसके पास होती है उसे हर कार्य में सफलता मिलती है धन संपत्ति देने वाली यह बहुत चमत्कारी साबित हुई है तांत्रिक वस्तुओं में यह महत्वपूर्ण है।

हत्था जोड़ी में अद्भुत प्रभाव निहित रहता है, यह साक्षात चामुंडा देवी का प्रतिरूप है।

यह जिसके पास भी होगी वह अद्भुत रुप से प्रभावशाली होगा।

सम्मोहन, वशीकरण, अनुकूलन, सुरक्षा में अत्यंत गुणकारी होता है, हत्था जोड़ी।

हमारे तंत्र शास्त्र तथा तन्त्र का प्रयोग करने वालो के लिये एक महत्वपूर्ण वनौषधि के नाम से जानी जाती है।

इसके पत्ते हरे रंग के होते है साथ ही यह भी देखा जाता है इन पत्तो के नीचे के हिस्से मे सफ़ेद रंग की परत होती है और इस सफ़ेद हिस्से पर बाल जैसे मुलायम रोंये होते है।

इसके ऊपर गुलाब की तरह का फ़ूल आता है कही कही पर फ़ूल मे नीला रंग भी दिखाई देता है।

यह प्राय: पंसारियो के पास या राशि रत्न बेचने वालो के पास से प्राप्त कि जा सकती है इसे तांत्रिक सामान बेचने वाले भी अपने पास रखते है।

  • हत्थाजोडी को कर जोडी हस्ताजूडी के नाम से भी जाना जाता है 
  • उर्दू मे इसे’बखूर इ मरियम’ कहा जाता है 
  • ईरान मे इसे चबुक उशनान के नाम से जाना जाता है 
  • लैटिन मे इसे सायक्लेमेन परसीकम कहा जाता है।

इसकी उपज किसी भी पेड की छाया मे तथा नम जमीन मे होती है इसकी जड गोल होती है और रंग काला होता है इसी जड मे हत्था जोडी बनती है।

यदि आप खूब मेहनत और लगन से काम करके धनोपार्जन करते हैं फिर भी आपको आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है तो आपको अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए इससे सम्बंधित उपाय करने चाहिए।

इसके लिए किसी भी शनिवार अथवा मंगलवार के दिन हत्था जोड़ी घर लाएं। इसे लाल रंग के कपड़े में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान में अथवा तिजोरी में रख दें। इससे आय में वृद्घि होगी एवं धन का व्यय कम होगा।

तिजोरी में सिन्दूर युक्त हत्था जोड़ी रखने से आर्थिक लाभ में वृद्धि होने लगती है.


हत्था जोड़ी के कुछ प्रयोग :-


१. प्रसव की सुगमता के लिये ग्रामीण इलाको मे इसे चन्दन के साथ घिस कर प्रसूता की नाभि पर चुपड देते है इससे बच्चा आराम से हो जाता है।

२. गर्भपात करवाने के लिये भी इसे प्रयोग मे लाया जाता है लेकिन इसके आगे के लक्षण बहुत खराब होते है जैसे हिस्टीरिया का मरीज हो जाना

३. जब कभी पेशाब रुक जाती है तो इसे पानी के साथ घिसकर पेडू पर लगाने से पेशाब खुल जाता है.

४. पेट मे कब्ज रहने पर इसको पानी के साथ घिस कर पेट पर चुपडने से कब्जी दूर होने लगती है.

५. मासिक धर्म के लिये इसके चूर्ण की पोटली बनाकर योनि मे रखने से शुद्ध और साफ़ मासिक धर्म होने लगता है लेकिन इस कार्य के लिये किसी योग्य डाक्टर या वैद्य की सहायता लेनी जरूरी होती है.

६. हत्थाजोडी का चूर्ण पीलिया के बहुत उपयोगी है पीलिया के मरीज को हत्थाजोडी के चूर्ण को शहद के साथ चटाने से लाभ मिलता है - लेकिन इसका चूर्ण शहद के साथ खिलाने के बाद रोगी को कपडा ओढ़ा देना जरूरी होता है जिससे पीलिया का पानी पसीने के रूप में निकलने लगेगा - कुछ समय बाद पसीने को तौलिया से साफ़ कर लेना चाहिये इससे यह समूल रोग नष्ट करने मे सहायक होती है.

७. पारा शोधन कि प्रक्रिया में भी हत्थाजोडी को प्रयोग मे लाते है - हत्थाजोडी के चूर्ण को पारे के साथ खरल करते है धीरे धीरे पारा बंधने लगता है - मनचाही शक्ल मे पारे को बनाकर गलगल नीबू के रस मे रख दिया जाता है कुछ समय मे पारा कठोर हो जाता है लेकिन पारा और हत्था जोडी असली हो तभी यह सम्भव है अन्यथा कुछ हासिल नहीं होता -!

८. हत्थाजोडी को सिन्दूर मे लगाकर दाहिनी भुजा मे बांधने से कहा जाता है कि वशीकरण होता है।

९. बिल्ली की आंवर / जेर हत्थाजोडी और सियारसिंगी को सिन्दूर मे मिलाकर एक साथ रखने से कहा जाता है कि भाग्य मे उन्नति होती है।

१०. यदि बच्चा रोता अधिक है और जल्दी-जल्दी बीमार हो जाता है तो शाम के समय, हत्थाजोडी के साथ रखे लौंग-इलायची को लेकर धूप देना चाहिए। स्वाहा।

११.यह क्रिया शनिवार के दिन अधिक लाभकारी होती है।

१२. किसी भी व्यक्ति से वार्ता करने में साथ रखे तो वो बात मानेगा.

 १३. जिसको भी वश में करना हो, उसका नाम लेकर जाप करें तो इसके प्रभाव से वह व्यक्ति वशीभूत होगा.

१४. त्रि - धातु के तावीज में गले में धारण करने से बलशाली से बलशाली व्यक्ति भी डरता है. सभी कार्यों में निरंतर निर्भय होता है।

१५. प्रयोग के बाद चांदी की डिबिया में सिन्दूर के साथ ही तिजोरी में रख दें।

हत्थाजोडी को सिद्ध करने के तरीके :-

1:- क्क हत्थाजोडी मम् सर्व कार्य सिद्ध कुरू-कुरू स्वाहाः। 

:- मंत्र से पीपल के पते पर अपना नाम लिखकर हत्थाजोड़ी को पत्ते पर रखें। रुद्राक्ष - माला से रोजाना तीन माला पांच दिन तक जाप करें। इसे सिद्ध-अभिमंत्रित होने पर पूजा-स्थल पर रखें। साधक के सभी कार्य करने हेतु जागृत हो जाती है।

२. ॐ ऐं हीं क्ली चामुण्डायै विच्चे


मंत्र जप संख्या २१००० + २१०० मन्त्रों से हवन + २१० मन्त्रों से तर्पण + २१ मन्त्रों से मार्जन


यदि हवन करना किसी वजह से सम्भव न हो तो उतनी संख्या में जप किया जा सकता है लेकिन यदि सम्भव हो तो हवन करना ही ज्यादा उपयोगी होगा

:- इस मंत्र द्वारा सिद्ध की गई हाथाजोडी जीवन के विभिन्न क्षेत्रो में साधक को सफलता प्रदान करती है। जिस घर में विधिवत सिद्ध की गई असली हाथाजोडी की पूजा होती है, वह साघक सभी प्रकार से सुरक्षित और श्री सम्पन्न रहता है।

रवि पुष्य नक्षत्र में पंचामृत से स्नान कराकर विधिवत पूजन कर निम्नलिखित मंत्र का १२५०० जप कर के इसको सिद्ध कर लें. रक्त आसन उत्तरभिमुख बैठ कर लाल चन्दन की माला से जप करें.

३. हाथा जोड़ी बहु महिमा धारी कामण गारी, खरी पीयारी.
राजा प्रजा मोहन गारी, सेवत फल, नर नारी,
केशर कपूर से मैं करी पूजा, दुश्मन के बल को तुं भुजा,
मन इछंत मांगूं ते देवे-कहण कथन मेरा ही रवे,
जोड़ी मात दुहाई रख जे मेरी बात सवाई,
मेरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरो मन्त्र इश्वारोवाचा।
 


विधि :- रवि पुष्य नक्षत्र में पंचामृत से स्नान कराकर विधिवत पूजन कर उपरोक्त मंत्र का १२५०० जप कर के इसको सिद्ध कर लें।

  1. रक्त आसन उत्तरभिमुख बैठ कर लाल चन्दन की माला से जप करें। 
  2. लाल फूल चढाएं। 
  3. लाल वस्त्र पहने। 
  4. सामने चक्रेश्वरी व भैरव की मूर्ती या चित्र स्थापन करें. व उनकी पूजा करें। 
  5. भैरव की पूजा तेल और सिन्दूर व लाल फूल से करनी है। 
  6. चक्रेश्वरी की अष्ट प्रकार से पूजा करनी है। 
ऋद्धि : ऊं ह्रीं अर्हं णमों सव्वोसवाण। 

मन्त्र :-  ऊं नमो नामिऊण विसहर विस प्रणाशन रोग शोक दोष ग्रह कप्प्दुमच्चा यई सुहनाम गहण सकल सुह दे ऊं नमः स्वाहा।

(उपरोक्त तीसरे क्रम के मंत्र के अतिरिक्त ऊपर दिए गए ऋद्धि और मंत्र से भी पूजा करें. इस प्रकार साधना करने के पश्चात एक चांदी की डिबिया में शुद्ध सिन्दूर के साथ कृष्णपक्ष के पहले दिन ही सुबह इसको उल्टा करके (यानि पंजे नीचे की तरफ ) रख दें. फिर शुक्लपक्ष के पहले दिन सुबह सीधा करके (यानी पंजे ऊपर) रख दें. इस तरह तीन कृष्णपक्ष व तीन ही शुक्लपक्ष उल्टा सीधा करके रखते रहें. आखिर के शुक्लपक्ष में वो उल्टा ही रहेगा फिर हमेशा के लिये उसे उल्टा ही रखना है. उस चांदी की डिबिया को अपनी तिजोरी में रख दें. परन्तु कभी भी कोई औरत उस डिबिया को भूल से भी खोल कर न देखे. नहीं तो प्रभाव समाप्त हो जायेगा. यह बहुत ही सुंदर लक्ष्मी वर्धक प्रयोग है)

होली, दीपावली एवं नवरात्र को मंत्र जाप से ये प्रयोग ज्यादा शक्ति एवं प्रभाव देते हैं।

हत्था जोड़ी को स्टील की डिब्बी में लौंग, इलायची व सिन्दूर के साथ ही रखना चाहिए।

हालाँकि हत्था जोड़ी बहुत ही सस्ती वनौषधि है किन्तु प्रायः यह ईरान से भारत मंगाने पर खर्चा अधिक और मंगाने पर प्रतिबन्ध होने कि वजह से लोग दाब घास की जड को कृत्रिम रूप से हत्थाजोडी का रूप देकर सिन्दूर मे लगाकर बेचते है।

कुछ लोग मरे हुये चूजों के पंजो को भी मोड कर सिन्दूर आदि मे लगाकर बेचते हैं।

अतः निश्चित सफलता और उचित परिणाम के लिए विश्वशनीय व्यक्ति या प्रतिष्ठान से ही इसे प्राप्त करें जिससे कि प्रयोग एवं सफलता संदिग्ध न हो।


माता महाकाली शरणम् 

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