Dafan Itihas (Hidden History_दफ़न इतिहास/कुचला हुआ लोकतंत्र
यह लेबल और सन्दर्भ दिया है मैंने अपनी इस नयी अभिव्यक्ति को - आशा करता हूं कि किसी भी दुराभाव और द्वेष के बिना मेरे मित्र मेरी इस पहल को स्वीकार करेंगे।
वास्तव में मैं स्वयं भी आप सभी के बीच में वही सारी शिक्षा उन्ही सारी शिक्षा नीतियों को पढ़कर बड़ा हुआ और देखा कि कुछ लोग कितने महान थे और कितने बलिदान किये देश को और हमें आजादी दिलवाने के लिए।
यही हाल और मानसिकता रही मेरी भी ठीक उन्ही सभी मित्रों की तरह जिन्हे आजादी के बाद से ही प्रायोजित पुस्तकें पढ़ने को दी गयीं। शिक्षा का ढांचा ही इस प्रकार बना दिया गया कि देश की जनता को सिर्फ वही देखने और जानने को मिले जो शासक वर्ग चाहता था।
देखा कि गांधी जी ने देश हित के लिए खुद का उत्सर्ग कर दिया - मूढ़ नाथूराम गोडसे ने भारत से उसके राष्ट्रपिता छीन लिए, आंदोलनकारियों को फांसियां हुईं - कुछ लोगों ने ब्रिटिश साम्राज्य की तरफ से अपने ही भारतीय भाइयों की जासूसी की।
बचपन में यह सब पढ़कर लगता था कि कैसे हो सकता है ऐसा कि कोई अपने ही भाइयों की और जो उन्हें ही आजादी दिलवाने के लिए लड़ रहे हैं उनके खिलाफ ही जासूसी करे और उन्हें मरवा दे।
बहरहाल वह तब का जमाना था - आज भी तो वह सब होता है - इसके बाद उच्च शिक्षा और फिर आम लोगों की तरह आ गया जीवन-यापन के लिए कमाने-खाने।
लेकिन मानव मन भी बहुत बड़ी चीज है - सच जानने का और ढूंढने का जज्बा इतिहास की तरफ मोड़ बैठा - जब एक बार प्यास जगी तो विभिन्न स्रोतों तक आना-जाना शुरू हुआ - कुछ सूचनाएं भ्रामक और कुछ तथ्यरहित भी लगीं।
अपनी इस तलाश में कुछ लेख या घटनाएँ ऐसी भी मिलीं जो तथ्यात्मक और सुन्दर प्रयास का संगम लगीं।
सोचता हूं कि दफ़न इतिहास को एक शक्ल दे दूँ - जिससे बहुत से लोगों को कुचले हुए लोकतंत्र की सही तस्वीर देखने को मिल जाये।
मानना या ना मानना हमारे प्रारम्भिक नींव और संस्कारों पर निर्भर करेगा किन्तु मेरा कर्तव्य है सच से पर्दा हटाना और मैं वही श्रंखला आरम्भ करने जा रहा हूं।
जय माँ
जय गुरु
माता महाकाली शरणम्
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